राजा स्कंदगुप्त कौन थे?? अमित शाह ने इनके बारे में क्या कहा? क्या इतिहास ने किया अन्याय

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सम्राट स्कंद गुप्त गुप्त वंश के आठवें राजा के। स्कंद गुप्त विक्रमादित्य ने उस द्वार में जितने सालों तक शासन किया है उस नहीं सालों तक युद्ध लड़े। स्कंद गुप्त ने मद्धेशिया के कबीलाई हूरों को युद्ध में हराया था। हुड़ों की बात करें तो बहुत ही भयंकर और खतरनाक योद्धा हुआ करते थे।

राजा स्कंदगुप्त कौन थे
राजा स्कंदगुप्त कौन थे

👉 राष्ट्रीय नायक के तौर पर स्कंद गुप्त को बीजेपी पेश करेगी ।
👉 गुप्त राजवंश के आठवें राजा थे स्कंदगुप्त।

अभी हाल ही में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में स्कंद गुप्त विक्रमादित्य पर दो-तीन दिन की गोष्ठी आयोजित की गई थी। जिसमें मुख्य वक्ता गृह मंत्री अमित शाह थे और उन्होंने कहा कि स्कंद गुप्त विक्रमादित्य के साथ इतिहास में बहुत बड़ा अन्याय हुआ है क्योंकि वह इतने काबिल और को सिद्ध राजा थे पर उन्हें कभी भी प्रसिद्धि नहीं मिली । जिसके को हकदार थे और उन्होंने यह भी कहा कि यह 2 दिन की गोष्टी स्कंद गुप्त के इतिहास को पुनः जीवित करने के काम आएगी बता दें स्कंद गुप्त ने भारतीय संस्कृति भारतीय कला भारतीय भाषा और भारतीय शासन काल को बचाने का बहुत बड़ा काम किया था।

सम्राट स्कंदगुप्त कौन थे ? 

सम्राट स्कंद गुप्त गुप्त वंश के आठवें राजा के। स्कंद गुप्त विक्रमादित्य ने उस द्वार में जितने सालों तक शासन किया है उस नहीं सालों तक युद्ध लड़े। स्कंद गुप्त ने मद्धेशिया के कबीलाई हूरों को युद्ध में हराया था। हुड़ों की बात करें तो बहुत ही भयंकर और खतरनाक योद्धा हुआ करते थे। जिन्हें राजा स्कंद गुप्त ने पराजित किया था और भारत पर आक्रमण करके कश्मीर और गुजरात को जीतकर वह पाटलिपुत्र तक पहुंच गए थे लेकिन स्कंद गुप्त ने उन्हें अपने पराक्रम से ना सिर्फ पराजित किया था बल्कि देश से बाहर तक खदेड़ दिया था मूलता मध्य एशिया की एक जंगली और बर्बर जाती थे आज पाटलिपुत्र वर्तमान समय में पटना के रूप में बिहार की राजधानी है।

हुड़ कौन थे?

हुड बहुत ही भयंकर योद्धा थे जिन्होंने चौथी और पांचवी सदी में दुनिया पर अपना पूरा आधिपत्य फैला दिया था पूर्ण वास्तव में चीन के पास रहने वाली एक प्रजाति थी इन्हें चीनी लोग हूं यू अथवा हूं यू कहते थे और आपको यह भी पता होना चाहिए कि उन लोगों ने महा विनाशक आक्रमण भारत पर करना शुरू कर दिया था भारत को बचाने का काम स्कंद गुप्त ने किया था।

और आपको यह भी पता होना चाहिए कि उन्होंने कई देशों पर प्रचंड आक्रमण किया और तबाह कर दिया था कम ही लोग जानते हैं कि चीन की जो विशाल दीवार बनी हुई है वह फूलों के आक्रमण से बचाने के लिए ही बनाई गई थी यही कारण था जिसकी वजह से चीन बच पाया है।

घोड़ों की ओर से लोगों पर बार बार आक्रमण होता था उनके राज में विनाश का एक तांडव तांडव खेला जाता है जिसमें महिलाएं बच्चे और सामूहिक नरसंहार करना होता था पुस्तकालयों को जला देते थ विश्वविद्यालयों को नष्ट कर देते थे और सब कुछ नष्ट करना चाहते थे उनके लिए एक अत्याचारों की वजह से देश भर के अनेक संस्कृति  समापत हो गई ।

स्कंदगुप्त का प्रशासन।

👉 स्कंद गुप्त कार्यकाल 455 - 467।

👉 स्कंद गुप्त अपने साम्राज्य को बचाए रखने के साथ-साथ एक कुशल प्रशासक भी थे। उन्होंने इस क्षेत्र में बहुत ही आवश्यक सुधार किए। पुराने प्राप्त पतियों के स्थान पर सभी प्रांतों में नए गवर्नर नियुक्त किए जूनागढ़ अभिलेख से ज्ञात होता है कि उसने प्रदत्त को सौराष्ट्र का गवर्नर नियुक्त किया था चक्र पारित को गिरनार का अधिकारी बनाया था इसने 456 इसी में सुदर्शन झील का पुनर्निर्माण भी करवाया थ।

👉 स्कंद गुप्त की बात करें तो देवताओं को खुश करने के लिए वही अबकी भी करवाते थे तथा सुदर्शन झील के समीप विष्णु भगवान चक्र व्रत का मंदिर भी बनवाया था इसके अतिरिक्त स्वर्णनाथ एवं प्रभाकर तथा भीम वर्मा भी स्कंद गुप्त के अधीन शासक या प्रांत पति थे।

👉 इसके अलावा भी स्कंद गुप्त के अभिलेखों से स्थानीय प्रशासन पर भी कुछ प्रकाश पड़ता है बिहार शिलालेख में अग्रसारित सॉलिक तथा वाल्मिक नामक अधिकारियों का उल्लेख किया गया था इनमें से पहले शुल्क वसूल करने वाले पिता दूसरे जंगलों के अधिकारी थे जूनागढ़ की बात करें तो अभिलेख से शहरों के प्रधान नगर रक्षक के कार्यों पर भी प्रकाश पड़ता है चक्र पारित ऐसा ही एक नगर रक्षक था जिसके कार्यों का उल्लेख हम ऊपर पढ़ चुके हैं।

👉 स्कंद गुप्त की अगर हम बात करें तो वह अपनी वीरता जनकल्याण की भावना जैसे चरित्र से विख्यात थे, भिठारी अभिलेख में उसे जगतीभुज बालडयो  गुप्त वंश के वीर  भी कहा गया है।  उसकी तुलना इंद्र एवं राम से की गई है, उसकी धर्म परायणता और सत्यवादी कि भी चर्चा होती है, तथा उसकी तुलना धर्मराज युधिष्ठिर से भी की गई है, उसकी कुछ मुद्राओं पर उसे पराहितकारी बतलाया गया है।  स्कंद गुप्त धार्मिक दृष्टिकोण से वैष्णव धर्मावलंबी थे लेकिन व अन्य धर्मावलंबियों को भी आदर की दृष्टि से देखते थे।  इससे उनके राज में सभी धर्मों के मानने वालों को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त होती है।

 स्पष्ट होता है कि स्कंद गुप्त अपने वंश का एक महान सम्राट था उसने संकट की घड़ी में गुप्त साम्राज्य की रक्षा की आर्य मंजुश्री मूल कल के लेखक ने उसको उस अधम युग में शासन करने वाले श्रेष्ठ बुद्धिमान और Dharm Vatsal Raja batlaya hai ।

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