जीएसटी क्या है? Full form, niyam aur fayde GST in Hindi
अभी तक लगभग इसके 6 साल बीत चुके हैं फिर भी लोग इसके बारे में भी पूरी तरह से नहीं जानते हैं और लोगों को समझ में नहीं आता है कि जीएसटी आखिर है क्या तो इस समस्या को ध्यान में रखकर हमने इस आर्टिकल में और ऑल अबाउट जीएसटी के बारे में शुद्ध हिंदी में लेख लिखा है इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए और अपने मित्रों और रिश्तेदारों को शेयर जरूर करिएगा।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि जीएसटी क्या होता है इसका फुल फॉर्म क्या होता है जीएसटी का हिंदी में अर्थ क्या होता है कि लोगों को इसमें रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है और इसके अलावा जीएसटी के जो जो नियम है जरूरी उनको भी इसमें शामिल किया है।
जीएसटी क्या है ? WHAT IS GST IN HINDI?
जीएसटी का फुल फॉर्म होता है: goods and services tax । हिंदी में इसका अर्थ होता है माल एवं सेवा कर।
इसी वस्तुओं को खरीदने पर सेवाओं का इस्तेमाल करने पर चुकाना पड़ता है पहले मौजूद कई तरह के टैक्स हो जैसे कि एक्साइज ड्यूटी वेट एंट्री टैक्स सर्विसेज टैक्स वगैरह को हटा दिया गया है उनकी जगह पर अब केवल एक जीएसटी नए भारत में 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया। भारत के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में लागू हो चुका है।
पहले की टेक्स में क्या कमी थी। DIFFERENCE BETWEEN GST AND PREVIOUS TAX
जीएसटी आने से पहले देश और राज्य में कई तरह के अलग-अलग टैक्स लगते थे जो कारोबारियों को उत्पादन से लेकर बिक्री तक के बीच में अलग-अलग स्टेज पर अलग-अलग तरह का टैक्स का भुगतान करना पड़ता था। एक उदाहरण के द्वारा हम समझते हैं जैसे ही फैक्ट्री से माल तैयार होकर निकलता था सबसे पहले उस पर उत्पाद शुल्क या फिर से एक्साइज ड्यूटी बोलते हैं चुकाना पड़ता था। कई सामानों के पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क एडिशनल एक्साइज ड्यूटी अलग अलग लगता था। वही बात अगर एक राजा दूसरा आदमी भेजा जा रहा है तो दाग में घुसते ही एंट्री टैक्स लगता था इसके बाद जगह-जगह चुंगी या अलग से।
जब माल भेजते थे तो उसका शीर्षक से बैठ लगता था कई मामले में अलग-अलग तरह के टैक्स लगते थे परचेज टैक्स भी लगता था अगर कोई सामान लग्जरी की श्रेणी में आता है तो लग्जरी कारों से चुकाना पड़ता था और वहीं पर किसी होटल में स्टैंड आदि में उपलब्ध कराया जा था तो सर्विस टैक्स अलग से उसे देना पड़ता था कई तरह के टैक्स भरना पड़ता था जिससे उपभोक्ता की कमर टूट जाती थी और सामान महंगे से महंगा मिलता था लेकिन जब से जीएसटी लागू हुआ है कारोबारियों को टैक्स के मामले में बहुत ज्यादा सुविधा मिली है और वह इस मकड़जाल से बाहर भी हो गए हैं हर अलग-अलग टैक्स को एक जीएसटी टैक्स कर दिया गया है।
जीएसटी की जरूरत क्यों पड़ी लोगों को
भारत के संविधान में देखें तो टैक्स संबंधी जो पुराने नियंत्रण उनमें वस्तुओं के उत्पादन या मैन्युफैक्चरिंग और सेवा पर टैक्स लगाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है जबकि वस्तुओं की बिक्री प्रसेंस पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्य सरकार को होता था ।
यहां पर क्या होता था कि सब अपने अपने हिसाब से टैक्स और कैटिगरीज को बनाते थे इस चक्कर में कई बार एक ही सामान पर कई ज्यादा टैक्स लग जाता है और टैक्स क्यों पटक लगते हैं छोटे व्यापारियों की रीढ़ की हड्डी टूट जाति की बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
इन कमियों को दूर करने के लिए ऐसा कानून लाया गया जिसे जीएसटी के रूप में अपनाया गया जो मालूम पड़ा दोनों पर लगे और जीएसटी प्रोडक्शन से लेकर 7 तक लगाया जा सके।
चुड़ैल का अलग-अलग स्विच खत्म कर दिया गया और जीएसटी का सिम आधार तय कर दिया गया सप्लाई और उसके लिए बकायदा टैक्स कानूनों में बदलाव किया गया और संसद में बकायदा संविधान संशोधन कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट की प्रक्रिया भी अपनाई गई।
जीएसटी की अवधारणा और विशेषताएं
जीएसटी की अगर बात करें तो उसकी बहुत सारी विशेषताएं हैं जो एक जुलाई 2017 से लागू किया गया ।
उत्पादन की बजाय उपभोग पर टैक्स।
GST सिस्टम में टैक्स की वसूली तब होती है जब कोई सामान को सेवा (SERVICES) को भेजा जाता है . वस्तुएं सेवा के अंतिम कीमत में उस पर निर्धारित जीएसटी टैक्स लगता है वस्तुओं की सप्लाई देने वाला सर इसे सप्लाई लेने वाले से वसूलते हैं। उसके बाद इसे सरकार के खाते में जमा कर दिया था मतलब कि जीएसटी की वसूली की जिम्मेदारी समान सर्विस देने वाले पर होती है किसी वस्तु या सेवा के साथ कितनी बार खरीदी अभी प्लीज कृपया होगी उतनी ही बात जीएसटी को चुकाना होता है।
इनपुट क्रेडिट सिस्टम से टैक्स वापसी
किसी वस्तु के उत्पादन से लेकर अंतिम उपभोक्ता के हाथ पहुंचने तक कई बार खरीदने बेचने की प्रक्रिया होती है अब जबकि जीएसटी सिस्टम में हर खरीद और बिक्री पर टैक्स बना होता है ऐसी वस्तु पर अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचने तक बहुत महंगी हो जानी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता है क्योंकि इसमें इनपुट क्रेडिट सिस्टम लगा होता है जिसके कारण इस सिस्टम में आखिरी स्टेज पर टैक्स लगने से पहले जहां-जहां टैक्स जमा किया गया उसको पाने की भी व्यवस्था है।
अगर आप अंतिम के वास्ते उपभोक्ता नहीं है पहले किसी स्टेज में आपने जीएसटी जमा किया है तो उसके बदले आपको क्रेडिट मिल जाता है इन क्रेडिट कस्टमर कर आप सरकार को जीएसटी को भुगतान करने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
यह आपको हर महीने जीएसटी का रिटर्न भरना पड़ता है जिससे आप टैग केडी सिस्टम के माध्यम से अपना जीएसटी एडजेस्ट कर सकते हैं अटैक 3D सिस्टम क्या होता है इसको अलग-अलग एग्जांपल से हम नीचे समझेंगे।
टैक्स के ऊपर टैक्स नहीं लगता।
जीएसटी के पहले जो व्यवस्था लागू थी उसमें टैक्स के ऊपर टैक्स लगता था एक ही वस्तु के उत्तर कई टैक्स लग जाते थे पर ऐसा इसमें नहीं है यहां पर जीएसटी आखरी में कंजूमर को ही देना पड़ता है बीच में अगर किसी को जीएसटी दिखाना पड़ा तो उसको टैक्स फिर भी सिस्टम में एडजस्ट हो जाएगा।
Full online system
जीएसटी सिस्टम में सारे सौदा की जो जानकारी होती है वह ऑनलाइन अपडेट रखी जाती है सऊदी की तस्वीर सप्लाई लेने वाले और सप्लाई देने वाले दोनों के पास रहती है दोनों अपनी अपनी रसीद की मदद से टैक्स क्रेडिट लेते हैं दोनों का मिलन ना हुआ तो ऑनलाइन की गड़बड़ी में पकड़ा जाती है और स्टेज पर जीएसटी जमा होने पर जिम्मेदारी ऊपर वाले कारोबारी होने से भुगतान नहीं टूटती है क्योंकि कोई भी कारोबारी अपने को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता है।
E invoice अनिवार्य है
बड़े कारोबारियों के लिए एक अक्टूबर 2022 से एनवाईसिग अनिवार्य कर दिया गया है जिनका सालाना टर्न ओवर ₹100000000 या उससे ज्यादा है मतलब है कि भारी जो अपने सभी पर और सीधे से जीएसटी पोर्टल के माध्यम से इलेक्ट्रानिक में जारी कर सकते हैं उनके तीन महीने बाद यानी कि 1 जनवरी 2023 5 करोड़ वाले व्यापारियों पर दी जाएगी उसके बाद 3 महीने बाद एक अप्रैल 2023 से लागू हो जाएगी एक करोड़ वाले कारोबारियों पर लागू कर देंगे।
टैक्स रेट पर मनमानी नहीं।
पहले के टैक्स सिस्टम में राज सरकार को अपने यहां बिजली वाले समानता पर बाजी से टैक्स लगाने का अधिकार था इसका रेट भी अपने हिसाब से तय करती थी पर अब ऐसा नहीं है जीएसटी के रेट में किसी भी तरह के बदलाव के लिए जीएसटी परिषद यह जीएसटी काउंसिल बनाई गई है केंद्रीय वित्त मंत्री सेंटर फाइनेंस मिनिस्टर इस परिषद के अध्यक्ष होते हैं सभी राज्यों के वित्त मंत्री उसके सदस्य होंगे।
जीएसटी काउंसिल के किसी फैसले पर केंद्र के पास एक तिहाई शक्ति बोर्ड की शक्ति होती है आईटीआई शक्ति राज्य सरकार के पास होती है हर राज की वर्किंग पॉवर बराबर होता है पैसा के किसी फैसले को मंजूरी मिलने के लिए उसे काउंसिल के तीन चौथाई वर्ष की जरूरत पड़ती है।
जीएसटी किसके किसके लिए फायदेमंद हैं।
जीएसटी की बात करें तो वह हर बार तेरी फायदेमंद है क्योंकि यहां पर आपको पारदर्शिता मिलती है इससे एक तरफ सरकार को सुविधा भी मिलती है दूसरी तरफ कारोबारी और उपभोक्ताओं को भी फायदा होता है आइए समझते हैं।
सामान्य लोगों के लिए फायदेमंद।
वस्तुओं पर तरह-तरह के टैक्स से छुटकारा मिल गया टैक्स के ऊपर टैक्स खत्म हो गया अनावश्यक टैक्स खत्म कर दिया गया इसे सामान्य उपभोक्ता के लिए फायदेमंद साबित हुआ।
जीवन के लिए बहुत ही जरूरी है चीजों पर टाइल्स के रेट कम कर देंगे इसे समझ लो कि ज्यादा काम हमारे सभी चीजें सस्ते में मिल जाती है और गरीबी बहुत कम आमदनी वाले लोगों को राहत भी मिल जाती है ।
कारोबार का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा जीएसटी के दायरे में आ जाने से सरकार की आमदनी बढ़ जाती है इससे शिक्षा स्वास्थ्य पर आम लोगों की सुविधाओं में सुधार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
बड़े व्यापारियों के लिए फायदेमंद।
हर आदमी टैक्स का अलग-अलग ढांचा होने से सामान्य कारोबारियों के लिए उसे समझने में आसान नहीं था इस तरह से झुमकी या अलग-अलग टैक्स लगती थी ।
एसी सिस्टम में कारोबारी संबंधित सारे डाक्यूमेंट्स ऑनलाइन हो जाते हैं इससे तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश नहीं कर सकते हैं और वहां पर अपलोड नहीं कर सकते हैं इससे फ्रॉड की कमी भी हो जाती है और किस तरह की गलती होने पर डॉक्यूमेंट के खो जाने पर ऑनलाइन ही सुधारने का मौका होता है कारोबारियों के बेमतलब दफ्तरों के चक्कर भी नहीं लगाने होते हैं आप यहां पर खुद से भी कल सुधार कर सकते हैं।
अगर आप यहां पर लघु उद्योग शुरू करना चाहते हैं तो उस को बढ़ावा देने के लिए पहले और आज सरकार यहां पर आपको कुछ रियायत दे देती है इसका फायदा उठाने के लिए बड़े कारोबारी भी अपने बड़े मुद्दे को ही छोटे-छोटे हिस्सों में करके दिखा देते हैं जिससे जीएसटी सिस्टम में सकता नहीं पड़ती है कंपनी का सस्ता और प्रतियोगी माल बना सकती है अंतरराष्ट्रीय बाजार में टक्कर देने के लिए माल बनाया जा सकेगा।
सरकार व प्रशासन को मिलने वाले फायदे।
पहले जो सिस्टम तो उसमें मार्केट के बहुत बड़ा हिस्सा अंडरग्राउंड हो तथा वस्तुओं के उत्पादन से लेकर मृत्यु तक की संख्या में बहुत सारे जगह पर काम दिखाया ही नहीं जा सकता जिन पर टैक्स की सरकार को पूरी तरह से नहीं मिल पाता था अब जीएसटी में ऐसे छोटे लोग भी एक्सचेंज में गिर जाएंगे जिससे टैक्स चोरी की गुंजाइश कम हो जाते हो सकता तीन कम पड़ जाती है।
हर स्टेज पर खरीदारी और बकरी की रस्सी धोका मिलना जरूरी हो जाता है तभी पहले के स्टेटस में जमा किया जाता है जिसका फायदा कारोबारियों को मिल सकता था इस खेल में जो कि हर किसी को भेज देना और बाद में उनकी रसीद बुक करने की जरूरत होती है कि के माध्यम से कम हो जाता है और ब्लैक लगाम लग जाती है।
पहले के जूते से तो उसमें एक ही वस्तु का लग रहे राज्य में अलग-अलग दाम पर मिल चुकी है उसका फायदा उठाते और आसपास के राज्यों में सस्ता सामान चोरी करने लगते थे जीएसटी के आने के बाद में हर क्षेत्र में राज्य में एक समान पर एक ही व्यक्ति लगता है इसे तस्करी पर लगाम लग गई।
ऐसे बहुत सारे बेफिजूल के टैक्स लगने वाले थे वह खत्म हो गए और एक टेक्स्ट चालू हो गया रजिस्ट्रेशन अटैक भुगतान संबंधित सारी डिटेल्स ऑनलाइन होने की निगरानी बनी रहती है जिससे रिकवरी की लागत में कमी आती सरकार के लिए टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन एंड मैनेजमेंट का काम बहुत ही आसान हो गया।