Visualization for meditation | विजुलाइजेशन कैसे करें?

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विजुलाइजेशन का विज्ञान

विजुलाइजेशन हमारे मन से बहुत ही नजदीकी से जुड़ा हुआ है इसलिए विजुलाइजेशन के विज्ञान को समझने से पहले हम मन को समझ ले तो यह ज्यादा बेहतर होगा जब हम अपने मन को समझ लेंगे तो हम विजुलाइजेशन को भी आसानी से समझ लेंगे।



मन क्या है?

आपका मन आप की सबसे बड़ी अदृश्य शक्ति है। विज्ञान की भाषा में कहें तो ऊर्जा वैज्ञानिकों ने मंकी काम करने की अवस्थाओं के अनुरूप मन को दो प्रकार से बताए हैं या यह कह सकते हैं कि इन्हें दो भागों में बांट दिया है जब हम जागते समय उस समय मन का काम होता है या काम करता है सोचता समझता है उसे हम जागृत मन कहते हैं और और जो मन 24 घंटे काम करता है उसे हम अर्थ जागृत मन कहते हैं दोनों में बहुत ही अंतर है।

जागृत मन क्या है?

जागृत मन की अगर हम बात करते हैं तो यह ऐसा मन है जब हम जगे होते हैं सही मायने में निर्णय ले सकते हैं हमें यह पता होता है किसी भी चीज को हम पसंद ना पसंद कर सकते हैं और हमारे साथ में तर्क करता है सवाल करता है और हमेशा उधेड़बुन में व्यस्त रहता है चीजों को सही गलत ठहरा ता है चीजों को अपनी आंखों से देखता है इसे हम जागृत मन की परिभाषा देते हैं।

अर्थ जागृत मन?

आज जागृत मन की अगर बात करें तो वह हमारी आदतों में शुमार होता है अरे जागृत मन को जानकारियां सूचना बार-बार दी जाती है उसे ही वह वास्तविक रूप मानता है और उसी के आधार पर काम करता है अर्ध जागृत मन स्वयं को मिलने वाली जानकारी या सूचनाओं को स्थाई रूप से संग्रहित करता है फिर उसी पर वह काम करता है जैसे अगर हम मान लेते हैं स्वास्थ्य का आना जाना खून का संचालन होना पाचन क्रिया शरीर की सभी स्वयं 40 प्रक्रिया एक जागृत मन के निर्देशों से होता है यह मन स्थान और काल के बंधन से मुक्त होता है आपका जागृत मन आपकी भावनाओं को प्रभावित करता है आज जागृत मन अपनी सृजनात्मक क्षमता को बरकरार रखता है और बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली भी होता है।

अर्ध जागृत मन की शक्तियां।

अर्ध जागृत मन अपने जागृत मन की तुलना में बहुत ज्यादा शक्तिशाली होता है क्योंकि इसमें हमारे संजोगों का सृजन होता है यह सपने देख सकता है भूल सकता है उन्हें साकार भी कर सकता है अर्ध जागृत मन बहुत ज्यादा शक्तिशाली होता है जो भी आप सोचते हो उसे को सही साबित करने में लग जाता है अब आप क्या सोचते हो यह आप पर डिपेंड करता है नकारात्मक या सकारात्मक।

संजोगो का सृजन किस तरह से करता है।

हम चाहे अच्छे लगने वाले संजोगा या बुरे लगने वाले हम दोनों का ही सजन करते हैं और कैसे करते हैं यह सब हम लोग कुछ पंक्तियों में जानेंगे और समझेंगे।

Step 1.
हमारे आस पास बहुत सारी घटनाएं होती हैं उसे हम देखते हैं उसके चित्र हमारे मन में ऑल जागृत मन में छप जाता है जो कुछ सुनते हैं उन बातों को तेरे शब्दों को चित्र भी बनते हैं और अर्ध जागृत मन के ऊपर वह छपता जाता है इस तरह जागृत मन के पास अच्छे और बुरे दोनों विचारों का आवागमन होता है और जिसे हम अनजाने में ही करते हैं और हमें पता भी नहीं होता है कि हमारा अर्थ जागृति मंच उसको ग्रहण करता है और उसके बाद में वह उस पर कैसे रिएक्ट करता है।

स्टेप 2

हर जागृत मंच यानी सबकॉन्शियस माइंड बार-बार जब उन चीजों को देखता है समझता है जानकारियों को लेता है ग्रहण करता है तो ना वह वास्तविकता में बदल देता है क्योंकि वह उसे सच मानने लगता है।

स्टेप 3 

वास्तविक रूप से स्वीकार की गई सूचना अपना सबकॉन्शियस माइंड स्थाई रूप से इकट्ठा करता है उसके बाद छोटी-छोटी जानकारियां भी हमेशा के लिए वह स्टोर करके रख लेता है।

स्टेप 4

जब सारी जानकारी और सूचनाओं को अपने पास में इकट्ठा कर लेता है तो वह उसी तरह से हमें प्रभावित भी करता है ऐसे में हमारे पास संग्रह की गई जानकारी यदि अच्छी है तो अच्छे ढंग से प्रभावित करता है और अगर खराब हुई तो बुरे ढंग से प्रभावित करता है धीरे-धीरे हमारे ऊपर अपना प्रभाव बढ़ाने लगता है

  • यह अपने विचारों को प्रभावित करने लगता है
  • आपकी भावनाओं को प्रभावित करता है
  • यह हमारे शारीरिक क्रियाओं को प्रभावित करता है
  • यह आपके व्यवहार को प्रभावित करता है

स्टेप 5

जब आज जागृत मन यह सब कौन से माइंड जो चित्र को इकट्ठा कर लेता है उसी के अनुसार हमारे मन में विचार भी उत्पन्न होने लगते हैं यह विचार जैसे होते हैं वैसे ही वस्तुएं वैसे ही घटनाएं वैसे ही लोग हमारी जिंदगी को भी आकर्षित करने लगते हैं जो आकर्षण के सिद्धांत के अनुसार काम करता है।

  1. आप का अर्थ जागृत मन या सबकॉन्शियस माइंड इकट्ठा के चित्रों को अपने मन में जागृत होने लगता है उसका वास्तविक ग्रुप बनाने लगता है यह भावनाएं जैसी होती हैं वैसे ही वस्तुएं घटनाएं और वैसे ही व्यक्ति हमारी जिंदगी को भी आकर्षित करने लगते हैं जो आकर्षण के सिद्धांत के अनुसार काम करता है।
  2. अपना शरीर भी अपने अलजागे तो मन की तरह चित्र को संग्रहित करता है और हम वैसा ही व्यवहार करने लगते हैं जैसा हम सोचते हैं अगर हम नकारात्मक सोचेंगे तो हमारे मन में हमारे सामने नकारात्मक चीजें होने लगेगी अगर हम सकारात्मक सोचेंगे तो हमारे सामने सकारात्मक चीजें होने लगेंगी।
हम कुछ उदाहरण से समझेंगे कि आपका हर जागृत मनिया सबकॉन्शियस माइंड कैसे काम करता है।

महेंद्र जी की अगर हम बात करते हैं तो वह 88 वर्षों से आर्थिक क्षेत्र में परेशानी का सामना कर रहे हैं। आयु 50 वर्ष के करीब होने लगी है फिर भी वह अपना स्वयं का घर भी नहीं बना सके यहां तक तो ठीक किंतु छोटे धंधे की काम आएगी काय परिवार का पालन पोषण भी सही ढंग से नहीं कर पा रहे हैं उनकी जिंदगी में ऐसे अवसर किस तरह पैदा हुए हैं यह जानने के लिए स्टेप बाय स्टेप जाना।

1. अनेक वर्षो से मेहंदी जी अपने आसपास की मंदी गरीबी संघर्ष को देखते आ रहे हैं इन संघर्षों के चित्र को अपने मन में यानी सबकॉन्शियस माइंड में छाप रहे हैं इसके अलावा अन्य व्यापारी मित्र भी मंदी बेईमानी खोट नुकसान और धोखाधड़ी में फंसे हुए हैं महेंद्र जी के जो अर्ध जागृत मन है उस तक वह सारी चीजें पहुंच रही है और वह एक अपने ही अंदर चित्र का निर्माण कर रही है कहानी का निर्माण कर रही है महेंद्र जी के पास मन के विषय में कोई खास जानकारी नहीं है इसलिए वह अपने मन पर काबू पा नहीं सकते हैं इतना ही नहीं बस अपने भाग्य से संघर्ष भी कर रहे हैं जैसे बातें बोलकर इन चित्रों और अधिक स्पष्टता प्रदान करते हैं वैसे ही सबकॉन्शियस माइंड में इतने वर्षों में यह चित्र बराबर छपते रहते हैं और उसी के आधार पर वह काम करते हैं.

2. इनके सबकॉन्शियस माइंड में आने वाले चारों तरफ से विचारों को जो झूठ और बेईमानी से भरे हुए हैं उसको सच मानता है और वह लगातार आता ही रहता है.

3. मेहंदी जी का जो सबकॉन्शियस माइंड है उसमें जब व्यापार शुरू किया तब से आज तक चित्र द्वारा मिली तमाम जानकारियों का भरपूर संग्रह है यह संग्रह कैसा है आप जानते ही हैं 16 वर्ष पहले किसी व्यक्ति ने उनके साथ ₹175 की धोखाधड़ी की थी और उसका चित्र भी इनके आज जागृत मन में अभी तक वैसा ही बना हुआ है.

4. मंदी और तकलीफ और संघर्ष इन सभी को जलते हुए चले आ रहे हैं जो चित्र उनके मन में अब जागृत मन में जाकर छप चुकी है और यह प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है जो विचार भावनाएं बर्ताव शारीरिक तंत्र के व्यवहार उनके निर्णय शक्ति बुरी तरह से प्रभावित कर रही है.

5. इसी के कारण इनकी दिल्ली विचारों के रहते हुए महेंद्र जी की आर्थिक स्थिति अधिक से अधिक कमजोर होती जा रही है
लगातार दुख की अनुभूति से महेंद्र जी के जीवन में स्वयं को अब कहीं भी और कभी भी सुख की संभावना नहीं दिखती है अधिक दूध देने वाली घटनाएं बनती ही रहती हैं

नकारात्मक प्रभाव के कारण रक्तचाप जैसी शारीरिक क्रियाएं भी कमजोर पड़ने लगी है एसिडिटी और ब्लड प्रेशर की समस्या भी पैदा होने लगी है।

धोखाधड़ी और माथापच्ची करने वाले ग्राहकों के चित्रों से रंगे आज जागृत मन में महेंद्र जी के व्यवहार पर बहुत बुरा प्रभाव डाला है अब उनका व्यवहार ऐसा हो गया कि ग्राहकों से उनकी अनबन होती रहती है।

बुद्धि की लगाम अपने हाथों में रखने वाले मेहंदी जी का जागृत मन भी उनके आज जागृत मन से बुरी तरह प्रभावित हो चुका है और महेंद्र भाई वीरता पूर्वक कोई भी निर्णय नहीं ले सकते हैं और यदि बने नाले भी लेते हैं तो किसी भी तरह से वह ठीक नहीं होता है।

इन सारी प्रक्रिया के कारण महेंद्र जी की जिंदगी में नकारात्मक भाव बढ़ गए हैं अब सही है संजोग बनते ही जा रहे हैं बनते ही जा रहे हैं समझने की बात तो यह है कि इस नकारात्मक और भी अधिक नकारात्मक चित्र तैयार करते हैं और इस तरह से यह चैप्टर लगातार चलता रहता है।

इसी तरह से अब समझ में आया विजुलाइजेशन का विज्ञान।

परंतु आपको लगेगा कि महेंद्र जी ने खराब संजीव को एक आया विजुलाइजेशन किया था वह भला किस लिए दो कब लाइसेंस करेंगे शायद आपको जानकारी ना हो किंतु महेंद्र जी ने आर्थिक संघर्षों और दुख का विजुलाइजिंग किया था।

अपने ज्यादातर संजोग हमने जने अनजाने में किए हुए विजुलाइजेशन का ही परिणाम है.

Q & A

1.VISUALIZATION  का मतलब क्या होता है?

ANS:- हमारी ऐसी कपलपान जिसे हम साकार  है। 

2 . विजुअलाइजेशन कैसे करें?

ANS:- 
  • एक लक्ष्य  निर्धारित करो 
  • सोचो और एक्शन लो 
3. विज़ुअलाइज़ेशन कब करना चाहिए?

ANS :- दिन मे दो बार सोने से पहले और और उठाने के बाद 


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