Ram Setu : कितने दिन में बना था रामसेतु यह कितना लंबा था, क्यों नहीं डूबता था इसका पत्थर?
धर्म ग्रंथों के अनुसार त्रेता युग में समुद्र के ऊपर एक विशाल सेतु बनाया गया था जो भारत और श्रीलंका के बीच मैं था। अगर बात करें उस पुल की तो 100 योजन लंबा और 10 योजन चौड़ा पुल था। और इस समय अगर हम बात करें तो वह कुल 1200 किलोमीटर लंबा था। जिसे केवल श्री राम की सेना ने 5 दिन में बनाया था।
राम सेतु := रामायण काल में अगर हम बात करें तो त्रेता युग में हजारों साल पहले एक पुल बनाया गया था जो भारत और श्रीलंका के बीच में बना था जिसे श्री राम की सेना ने बनाया था श्रीलंका तक पहुंचने का। जिस पुल का इस्तेमाल करके श्री राम की सेना भारत से श्रीलंका तक पहुंची थी और रावण को उसके करनी का दंड दिया था।
पर आज के जमाने में आधुनिक जमाने में कुछ शोधकर्ताओं ने यह माना है कि जो एडम ब्रिज ही है वही रामसेतु है।
इतने सालों का अंतराल धरती में उलट पलट होने की वजह से दूरी कम हो गई है ।
Ram Setu: अमेरिका भी हुआ रामसेतु के सामने नतमस्तक, जानिए ...
भारत के दक्षिण में धनुष्कोटी तथा श्रीलंका के उत्तर पश्चिम में कंपन के मध्य समुद्र में 48 किलोमीटर चौड़ी पट्टी के रूप में वह एक भूभाग के उपग्रह से खींचे गए चित्रों को अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान नासा ने जब 1993 में दुनिया भर में जारी किया तो भारत में इसे लेकर राजनीतिक विवाद जन्म हो गया।
इस पुल जैसे भूभाग को राम का पुल या राम सेतु कहा जाने लगा राम सेतु का चित्र नासा ने 14 दिसंबर 1966 को जेमिनी: 11 से अंतरिक्ष से प्राप्त किया गया था। इसके 22 साल बाद आई ss19 तमिलनाडु तट पर स्थित रामेश्वरम और जाफना दीपों के बीच समुद्र के भीतर भूमि भाग का पता लगाया और उसका चित्र लिया है इससे अमेरिका उपग्रह के चित्र की पुष्टि हो गई।
दिसंबर 1917 मैं साइंस चैनल पर एक अमरीकी टीवी शो एंसिएंट लैंड ब्रिज मैं अमेरिकी पुरातत्वविद ओने वैज्ञानिक जांच के आधार पर यह कहा था कि भगवान श्री राम के से लंका तक सेतु बनाने की हिंदू पौराणिक कथा सच हो सकती है भारत और श्रीलंका के बीच 50 किलोमीटर लंबी एक देखा चट्टानों से बनी है और यह चट्टाने 7000 साल पुरानी है जबकि जिस बालू पर यह चट्टानें टिकी है वह 4000 साल पुराना है नासा की सेटेलाइट तस्वीरों और अन्य प्रमाणों के साथ विशेषज्ञ कहते हैं कि चट्टानों और बालू की उम्र में यह विसंगति बताती है कि उनको इंसानों ने ही बनाया होगा।
पुल जैसे भूभाग को राम का पुलिया राम सेतु कहा जाने लगा सबसे पहले श्रीलंका के मुसलमानों ने से आदमपुर कहना शुरू किया था फिर ईसाई या पश्चिमी लोग इसे एडम ब्रिज कहने लगे मानते हैं कि आदम स्कूल से होकर गुजरते थे।
रामसेतु पुल पर कई बार बहुत सारे शोध हुए हैं जो अगर बात करते हैं पंद्रहवीं शताब्दी तक इस पुल पर चलकर रामेश्वरम से मनमाड दीप तक जाया जा सकता था लेकिन तूफानों ने यहां समुद्र को कुछ गहरा कर दिया 1480 ईस्वी सन् में यह चक्रवात के कारण टूट गया और समझकर जलस्तर बढ़ने का कार्य डूब गया ।
वाल्मीकि रामायण मैं जब श्रीराम ने सीता को लंका पति रावण से छुड़ाने के लिए लंका पर चढ़ाई की तो उस वक्त उन्होंने विश्वकर्मा के पुत्र नल और नील से एक सेतु बनवाया था जिसे बनाने में वानर सेना से सहायता की थी इस हेतु में पानी में तैरने वाले पत्थरों का उपयोग किया गया था जो किसी अन्य जगह से लाए गए थे कहते हैं कि ज्वालामुखी से उत्पन्न पत्थर पानी में नहीं डूबता संभवत इन्हीं पदों का उपयोग किया गया होगा।
भगवान श्रीराम ने जहां धनुष मारा था उस स्थान को धनुष्कोटी भी कहते हैं राम ने अपनी सेना के साथ लंका पर चढ़ाई करने के लिए उक्त स्थान से समुद्र में एक ब्रिज बनाया था इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है श्रीराम ने इस क्षेत्र का नाम नल सेतु रखा था वाल्मीकि रामायण में वर्णन मिलता है कि कुल लगभग 5 दिनों में ही बना दिया गया था जिसकी लंबाई 100 योजन और उसकी चौड़ाई 10 योजन थी । रामायण में इस पुल को नल सेतु की संज्ञा दी गई है नल के निरीक्षण में वानरों ने बहुत प्रयत्न पूर्वक इस सेतु का निर्माण किया था वाल्मीकि रामायण 6/ 22/76 गीता प्रेस गोरखपुर की पुस्तक श्रीमद् बाल्मीकि रामायण कथा सुख सागर में वर्णन है कि राम ने सेतु के नामकरण के अवसर पर उसका नाम नाचे तू रखा इसका कारण था कि लंका तक पहुंचने के लिए निर्मित पुल का निर्माण विश्वकर्मा के पुत्र द्वारा बताई गई तकनीकी से संपन्न हुआ था महाभारत में भी राम के नल सेतु का जिक्र आया हुआ है।
वाल्मीकि रामायण में कई प्रमाण है कि सेतु बनाने में कुछ तकनीकी का प्रयोग किया गया था कुशवाह में बड़े-बड़े पर्वतों को यंत्रों के द्वारा समुद्र तट पर ले आए थे कुछ वाना संयोजन लंबा शुद्ध पकड़े हुए तथा पुल का निर्माण सूत स सीध में हो रहा था वाल्मीकि रामायण 6 /22/62
वाल्मीकि रामायण के अलावा कालिदास ने रघुवंश के तेल में स्वर्ग में राम के आकाश मार्ग से लौटने का वर्णन किया है इस सर्ग में राम द्वारा सीता को रामसेतु के बारे में बताने का वर्णन है या सेतु कालांतर में समुद्री तूफानों आदि की छोटे खाकर टूट गया था अन्य ग्रंथों की अगर मानें तो कालिदास का रघुवंश में सेतु का वर्णन है इसका पुराण तृतीय 1/21 /114 विष्णु पुराण 44/ 40/ 49 अग्नि पुराण पुराण 1/38 /140 में भी श्री राम के सेतु का जिक्र किया गया है।
बाल्मीकि के अनुसार 3 दिन की खोजबीन के बाद श्रीराम ने रामेश्वर के आगे समुद्र में स्थान ढूंढ निकाला जहां से आसानी से श्रीलंका तक पहुंचा जा सकता था उन्होंने नल और नील की मदद से उस स्थान से लंका तक का पुनर्निर्माण करने का फैसला लिया धनुषकोडी भारत के तमिलनाडु राज्य के पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक गांव है धनुस्कोडी के दक्षिण पूर्व में स्थित है पश्चिम में है ।
धनुषकोडी - Rameshwaram
इसका नाम धनुषकोडी इसलिए है क्योंकि यह श्रीलंका तक वानर सेना के माध्यम से नल और नील ने जो पुल रामसेतु बनाया था उसका आकार मार्ग धनुष के समान है इन पूरे इलाकों को मन्नार समुद्री क्षेत्र के अंतर्गत माना जाता है धनुषकोडी ही भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्थलीय सीमा है जहां समुद्र नदी की गहराई जितना है उसमें कहीं कहीं भूमि नजर आ जाती है।
श्री वाल्मीकि ने रामायण की संरचना सही राम के राज्याभिषेक के बाद वर्ष 5075 ईसापुर के आसपास की होगी 1412 श्रुति स्मृति की प्रथा के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी परिचित रहने के बाद वर्ष 1000 स्कूल के आसपास किस को लिखित रूप दिया गया होगा इस निष्कर्ष के बहुत से प्रमाण मिलते हैं रामायण की कहानी के संदर्भ निम्नलिखित रुप में उपलब्ध हैं
- कौटिल्य का अर्थशास्त्र चौथी शताब्दी ईसा पूर्व
- बौद्ध साहित्य में दशरथ जातक तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व
- कौशांबी में खुदाई में मिली तेरा कोटा पक्की मिट्टी की मूर्तियां दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व
- नागार्जुन कोंडा आंध्र प्रदेश में खुदाई में मिले इस टोल पैनल तीसरी शताब्दी
- नागार्जुन खेड़ा हरियाणा में मिले तेरा कोटा पैनल चौथी शताब्दी
- श्रीलंका के प्रसिद्ध कवि कुमार दास की काव्य रचना जानकी हरण सातवीं शताब्दी संदर्भ ग्रंथ
1. वाल्मीकि रामायण
2. वैदिक युग एवं रामायण काल के ऐतिहासिकता सरोज बाला अशोक भटनागर कुलभूषण मित्र
निष्कर्ष
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1. आखिर क्या है Akshay Kumar की राम सेतु की स्टोरी
2. रामसेतु - विकिपीडिया