विजुलाइजेशन का विज्ञान/अवचेतन मन की शक्तियां और चमत्कार और कल्पना

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 विजुलाइजेशन और विजुलाइजेशन का विज्ञान/अवचेतन मन की शक्तियां और चमत्कार और कल्पना

विजुलाइजेशन अर्थात मन में चित्रण चित्र को बनाना  हो सकता है, विजुलाइजेशन शब्द आपको नया लगे किंतु विजुलाइजेशन की प्रक्रिया से आप अनजान नहीं हैं, आप प्रतिदिन विजुलाइजेशन करते हैं। बचपन से करते आए हो, विजुलाइजेशन अर्थात कल्पना, विजुलाइजेशन ka arth  चित्रण करना होता है, विजुलाइजेशन को कल्पना करना भी कहते हैं। अर्थात विजुलाइजेशन करना माने कल्पना करना विजुलाइजेशन के रूप में पहचानी जाने वाली कल्पना किया प्रक्रिया अधिकांश तक कहां देखने को मिलती है।
आइए यहां देखते हैं सर्वप्रथम उन लोगों की बात करते हैं जिनके लिए विजुलाइजेशन उनके काम का मुख्य आधार है।

शिल्पकार : 

कोई शिल्पकार जब उबड़ खाबड़ आड़े तोड़े आकार वाले पत्थर पर नजर डालता है तो उसके मन में एक मूर्ति का आकार लेने लगती है साथ ही मन में जो मूर्ति बन जाती है उसके अनुसार सरकार के हाथ काम करने लग जाते हैं। और अंत में यही पत्थर एक अद्भुत शिल्प के रूप में आ जाती है। शिल्पकार के मन में इस मूर्ति के हाथ पैर सिर सब होते हैं शरीर में लालित्य होता है उसमें लावणी होता है चेहरे पर एक मुस्कान होती है आंखों में भाव होते हैं शिल्पकार द्वारा अपने मन में मूर्ति रखने की प्रक्रिया का विजुलाइजेशन होता है।
पहले शिल्पकार अपने मन में कोई बात को सोचता है अपने मन में एक चित्र को बनाता है फिर वह उसे एक पत्थर पर पुरोहित कर उसे एक जीवित आकार दे देता है।

चित्रकार:

विजुलाइजेशन चित्रकार के लिए एक महत्वपूर्ण अंग है या कह सकते हैं वह एक अंक की तरह ही काम करता है।
जैसे अगर हम बात करते हैं कि कोई भी चित्रकार होता है तो वह कागज पर उस चित्र को बनाने से पहले अपने मन में ही सोच लेता है उस पर कौन सा रंग भरना है किस तरह का रंग भरना है कितना रंग भरना है और कैसे रंग भरना है वह उसके मन में ही सारी चीजें पहले से ही बन जाती हैं इसे ही हम विजुलाइजेशन कहते हैं।

कोरियोग्राफर:

स्टेज पर नृत्य प्रस्तुत करने से पहले उसके कोरियोग्राफर के मन में पूरे नृत्य की सारी सीक्वेंस स्टेप बाय स्टेप तैयार हो जाती है उसे कब कौन सा स्टेप करना है यह नृत्य उसके मन में पहले भी अनेक बार आ चुका होता है और आकार ले चुका होता है वह नृत्य के स्टेप नृत्य की गति आदि छोटी सी छोटी बातें कोरियोग्राफर के मन में गहराई से छप जाती है उसके बाद वह स्टेज पर उसको वास्तविक रूप देता है और लोग तालियों की गड़गड़ाहट से उसका अभिनंदन करते हैं।

Graphic designer :

आपने अखबारों की सुंदर रंगीन पूर्ति अंक पढ़े होंगे सुंदर रुप से डिजाइन की गई है पूर्ति या अंत की सामग्री सबसे पहले उसके डिजाइनर के मन में आकार ले चुके होते हैं यह पूर्ति लिखने का तरीका अक्षर फोटोग्राफ्स चित्र आदि किस रंग और किस प्रकार के होंगे यह सब पहले से ही को अपने मन में तय कर लेता है उसके बाद वह उसको उतार देता है इसे ही हम विजुलाइजेशन कहते हैं।

फिल्म डायरेक्टर:

आप सभी ने तो फिल्में बहुत देखी होगी आप लोगों को फिल्में बहुत पसंद भी होंगी और उसमें जो भी एक्शन साइंस सांग्स गाने सभी उपयोग में लाए जाते हैं वह सब कैसे होता है क्यों होता है क्या आपने कभी सोचा है जब आप एक हॉरर मूवी देख रहे होते हैं जब आप कॉमेडी मूवी देख रहे होते हैं जब आप एक सीरियस मूवी देख रहे होते तो आपको पता है कि आप उस मूवी के साथ ही अपने भाव को व्यक्त कर देते हैं अगर आप हॉरर मूवी देख रहे होते तो आपको डर लगने लगता है अगर आप कॉमेडी मूवी देखने लगते हैं तो आपको खुशी होने लगती है। यह सब कैसे होता है यह जो एक मूवी एक जीवंत बनती है वह पहले फिल्म डायरेक्टर के मन में तैयार हो जाती है वह अपनी भावनाओं को उस फिल्म में पूरे कर रख देता है जिसकी वजह से हम लोग मूवीस को देखना पसंद करते हैं और उसी के साथ उसी के भाव में भी बहने लगते हैं यह सारे भाव उसके मन में पहले से ही प्रकट हो जाता है जिसे वह पर्दे पर उतार देता है।
इसी तरह से विजुलाइजेशन काम करता है अगर हमें कोई भी काम करना है तो सबसे पहले हमें उस काम को अपने मन में सोचना होगा उसका एक चित्रण करना होगा या चित्र बनाना होगा उसका एक एक पॉइंट हमें अपने मन में सोच कर रखना होगा उसके बाद उसे जीवन देना होगा।

समस्त ब्रह्माण्ड 

ऊर्जा का धड़कता समुद्र है।

हम भी इसी का अंश हैं

इसलिए सृजनात्मकता प्रत्येक व्यक्ति में होती है।

विजुलाइजेशन का विज्ञान

विजुलाइजेशन हमारे मन से बहुत नजदीक से जुड़ा हुआ है इसलिए भी मिला इसमें के विज्ञान को समझने से पहले हम मन को समझ लेते हैं कि मन हमारा किस तरह से काम करता है।

1. मन क्या है?

अपना मन सबसे बड़ी अदृश्य शक्ति है विज्ञान की भाषा में कहें तो ऊर्जा वैज्ञानिकों ने मन की काम करने की अवस्थाओं के अनुरूप मन को दो प्रकार का बताया है । हम जब जाते हैं उस समय जो मन काम करता है उसे जागृत मन और जो मन 24 घंटे काम करता है उसे अर्थ जागृत मन कहते हैं।

2. जागृत मन

हम अपने सभी बौद्धिक काम जागृत मन से करते हैं जागृत मन निर्णायक मन होता है जो निर्णय लेने में हमारी मदद करता है उसे अच्छा बुरा सही यह सब पता होता है वह तर्क वितर्क करता है क्या सही है क्या गलत है वह सवाल खड़े करता है हमेशा उधेड़बुन में व्यस्त रहता है।

3. अर्धजाग्रत मन

हमारी सभी आदतों का मूल कारण हमारा अर्धजागृत मन है। अर्धजगृत मन को जो जानकारी यह सूचना उसे बार-बार दी जाती है अर्धजाग्रत मन उसे सच मान लेता है। जैसे की हम सांस लेते हैं हमारे शरीर में खून का बहना पाचन क्रिया शरीर की सभी स्वर संचालित प्रक्रियाएं मन के निर्देश सही होता है यह मन स्थान और काल के बंधन से मुक्त होता है आप का अर्थ जागृत मन आपकी भावनाओं को प्रभावित करता है अर्ध जागृत मन आप में सृजनात्मक मन होता है।

अर्ध जागृत मन की शक्ति

अर्ध जागृत मन अपने जागृत मन की तुलना में कई गुना शक्तिशाली होता है क्योंकि इसमें हमारे संजू को के सृजन की क्षमता होती है अभी तक हमारे संजोग अर्जुन जागृत मन द्वारा ही उपलब्ध कराए गए हैं आप प्रश्न करेंगे कि यह किस तरह हो सकता है तो आइए इन सब का जवाब हम नीचे जानते हैं और देखते हैं।

संजू को का सर्जन किस तरह से होता है हम चाहे अच्छे लगने वाले संजोग हो या बुरा लगने वाले उनका सृजन किस तरह से होता है इस प्रकार को स्टेप बाय स्टेप समझते हैं।

स्टेप नंबर वन

हमारे आसपास हम जो कुछ देखते हैं उनके चित्र हमारे मन में छप जाते हैं जो कुछ सुनते हैं उनके बाद क्यों तथा शब्दों का चित्र हम बना लेते हैं और अपने मन में छाप लेते हैं इस तरह हमारा जो अर्थ जागृत मन होता है वह अच्छे बुरे चित्रों को पहचानने का काम जाने अनजाने में ही कर लेता है।

स्टेप नंबर दो

आज जागृत मन चित्र के रूप में बार-बार मिलने वाली सत्य असत्य जानकारियों को स्वीकार कर लेता है उसे अपने मन में बैठा लेता है और उसे ही सच मानने लगता है।

स्टेप नंबर 3 

वास्तविक रूप में स्वीकार की गई है सूचना अपना अर्थ जागृत मन स्थाई रूप से संग्रह करके रखता है छोटी सी छोटी जानकारी भी हमेशा के लिए वह अपने अंदर समाहित कर लेता है।

स्टेप नंबर 4

जब अपने पास जानकारी या सूचनाओं को एकत्रित कर लेता है और उसे किस तरह से प्रभावित करने लगता है ऐसे में हमारे पास संग्रह की कई जानकारी यदि अच्छी हुई तो वह हमें अच्छे ढंग से प्रभावित करता है यदि खराब हुई तो आप बुरे ढंग से प्रभावित करता है धीरे-धीरे हमारे ऊपर अपना प्रभाव बढ़ाने लगता है।
जब हम किसी चीज के लिए अच्छा सोचते हैं तो वह अच्छा होता है पर हम जब किसी चीज के लिए खराब सोचते हैं तो हमेशा खराब होने लगता है वह सब हमारे मन में चल रही चित्र के रूप में ही निकलकर असलियत में सामने आती है।

स्टेप नंबर 5 

परिणाम स्वरुप अपने अर्थ जागृत मन में जो चित्र संग्रहित होती है उसके अनुसार हम विचार करने लगते हैं यह विचार जैसे जैसे बड़ी होती हैं वह उसका रूप धारण करने लगती हैं अब मगर आप किसी चीज के बारे में अच्छा सोच रहे हैं तो आपके साथ में वह चीज अच्छी हो रही होती है पर अगर आप किसी चीज के बारे में बुरा सोच रहे होते तो आपके साथ में चीज बुरा होने लगता है यह सब हमारे मन में बन रही चित्र की वजह से ही होने लगता है क्योंकि हमारा जो अंतर्मन है वह सब कुछ जानता और समझता है वह अभी तक की जितनी भी जानकारी इकट्ठी की गई है वह उसी के हिसाब से अपना चित्र बनाता है और हमारे सामने वह वास्तविक रूप में रख देती है।

Conclusion

इसीलिए जब बोला जाता है कि जैसा हम सोचते हैं वैसा ही होता है जैसा हम कहते हैं वैसा ही होता है। तो आप अपने मन में वैसे ही बीज बोए जैसा आप चाहते हैं अगर आप सफल होना चाहते हैं कामयाब होना चाहते हैं तो आप उसी तरह से सोचे अगर आप कामयाब नहीं होना चाहते अपने जीवन में तो आप भी सोच सकते हैं वह आपके ऊपर डिपेंड करता है आप अपने अंदर अच्छा विजुलाइजेशन करें अपने आप को कामयाब इंसान की तरह देखें अब वाकई में देखेंगे कुछ दिन के बाद मैं आप कामयाब हो चुके होंगे।
अगर यह मेरा आर्टिकल आप लोगों को पसंद आया हो तो आप लोग इसे शेयर जरूर करिएगा जिससे यह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके और वह भी विजुलाइजेशन की शक्तियों को पहचान सके जान सके धनवाद।

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