विजुलाइजेशन क्या होता है?
"परिस्थिति जैसी भी हो यदि उसी स्वरूप में सतत देखने में आती है तो मनुष्य की रातों की नींद गायब हो जाती है।
इसलिए कुछ ज्यादा ही वास्तविक वादी लोग अधिकतर निराशा में जीवन जीने लगते हैं। अतः यदि स्वयं को स्थिति की वास्तविकता का बार-बार अनुभव करते रहोगे तो वास्तविकता जैसी है वैसी ही रहेगी। वास्तविकता को यदि बदलना हो तो कुछ कल्पनाशील बने। यह पुस्तक आपकी कल्पना शक्ति को वैज्ञानिक ढंग से उभार कर आपको अपनी जिंदगी में नवीन संजोग ओं का सृजन करना सिखाती है।"
डॉ जितेंद्र अधिया
राजीव भल्लारी
how to visualize effectively
वास्तव में आपको क्या चाहिए?
क्या आपको अकूत संपत्ति चाहिए? सुरक्षित नौकरी चाहिए? शानदार बंगला चाहिए? क्या आप को आरामदायक कार चाहिए? अपने खेतों में भरपूर फसल चाहिए? अपने व्यापार में उन्नति चाहिए? अपने परिवार का सहयोग चाहिए? योग्य जीवनसाथी चाहिए? क्या हुआ बलिष्ठ शरीर चाहिए? क्या आपको कोई खास डिग्री चाहिए? ईश्वर के चरणों में भक्ति चाहिए? क्या आपका अध्यात्मिक उन्नति चाहिए? सफलता सुख और शांति चाहिए?
यदि इसमें से कोई एक यस सभी चाहिए तो एक जबरदस्त अनुभूति के लिए तैयार हो जाइए। क्योंकि जब आप इस पुस्तक को पढ़ने का काम पूरा कर लेंगे तब आप अपनी जिंदगी में जो कुछ चाहिए उसे प्राप्त कर लेंगे यह मार्ग अन्य सभी मार्गो से अलग है।
कारण यह है कि इसका आपकी शिक्षा से कोई संबंध नहीं है। और नहीं तुम्हारे धर्म से कोई संबंध है। इतना ही नहीं, आपके भाग्य के साथ भी इसका कोई संबंध नहीं है। या मार के ऐसा है जिसे आप आसानी से अपना सकते हैं। अपने व्यक्तित्व की जिन बातों के ऊपर आपका सीधा साधा और पूर्ण अधिकार उन बातों के विषय में ही इस पुस्तक में लिखा गया है। इसलिए तो हम विश्वास पूर्वक कह सकते हैं कि इस पुस्तक में दिखाए गए तरीके से आप काम करेंगे तो स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गए सूत्र को वास्तव में सत्य प्रमाणित कर सकते हैं। स्वामी विवेकानंद ने कहा था।
"आप स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं।"यह पुस्तक पढ़ने के बाद आप भी कहेंगे कि सत्य बात है मैं ही मेरे भाग्य का विधाता हूं।
सूक्ष्म हकीकत ठोस हकीकत
कोई भी मकान वास्तविक भूमि पर आकार लेने से पहले उसके मालिक के मन में आकार बना लेता है। मकान मालिक अपने आर्किटेक्ट के साथ मिलकर मन में रहे मकान के विचार को कोरे कागज पर उतारता है। आर्किटेक्ट की मदद से इसमें संपूर्ण और महत्वपूर्ण विशेषताएं आकार लेती हैं। इसके बाद में स्ट्रक्चरल डिजाइनर की मदद से स्ट्रक्चर की डिजाइन को तैयार किया जाता है। सिविल इंजीनियर इस डिजाइन के अनुसार मकान का वास्तविक आकार व रूप देने का कार्य शुरू करता है और फिर कारीगर और मजदूरों के सहयोग से आखिर में धरती पर मकान वास्तविक आकार धारण कर लेता है।
मन का सोच वाला मकान धरती पर वास्तविक आकार ले लेता है। मानसिक मकान का भौतिक मकान बनता है इस संपूर्ण प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण यदि कुछ है तो वह है "Malik ke man mein Apne swayam ke Makan ke vishay mein ban rahe vichar"
जिंदगी में भी ऐसा ही होता है। आज की अपने भौतिक दुनिया अपने मानसिक चित्र व विचारों का ही परिणाम है। जिंदगी में भी ऐसा ही होता है आज की जो अपनी दुनिया है वह अपने मानसिक विचारों चित्रों का परिणाम है अपनी जिंदगी के विषय में हमारे मन में जाने-अनजाने जो विचार या चित्र खड़े किए गए हैं वैसे ही जिंदगी हम भी जी रहे हैं।
यदि आपको अपने भौतिक दुनिया बदल ली हैं तो जिंदगी के विषय में मन में जो विचार हैं वह चित्र उन्हें बदलना पड़ेगा।
अपनी मानसिक दुनिया में सुख और समृद्धि के नए चित्र तैयार करना आपके हाथ में है यह सब कैसे हो सकता है यह विचार छोड़ें यह पुस्तक इसलिए है।
"मानसिक दुनिया में जो
सूक्ष्म रूप से सज्जित होता है,
भौतिक दुनिया में वही
स्थूल रूप में सृजित होता है।"